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रोमियों की पत्री हमें सुसमाचार का संक्षिप्त सारांश प्रदान करती है। प्रेरित पौलुस मानवीय पापमय अवस्था पर टिप्पणी करते हुए शुरु करता है, लेकिन आगे हमें याद दिलाता है कि ईश्वर दयालु और कृपालु है और हमें अपने पुत्र यीशु मसीह में विश्वास के माध्यम से उद्धार का मार्ग प्रदान करता है।
यीशु के बलिदान से, यहूदियों और गैर-यहूदियों दोनों को छुड़ाया और बचाया गया हैं और मसीह का खून हमारे पापों को हमेशा के लिए ढक देता है। लेकिन पौलुस इस बात पर भी जोर देता है कि उद्धार हमारे विश्वास के जीवन का अंतिम बिंदु नहीं है; यह शुरुआती बिंदु है। जैसे-जैसे हम पवित्र आत्मा का अनुसरण करते हैं, हमें लगातार शुद्ध किया जा रहा हैं और धर्मी बनाया जा रहा है। परमेश्वर के अनुग्रह से संभव हुआ हमारा उद्धार, हमें यीशु मसीह की खोज में बिताए गए जीवन के लिए प्रेरित करता है।
इस पत्री के प्रारंभिक अध्यायों में, पौलुस सत्य के उन स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करता है जिन्हें हम अपने बारे में और ईश्वर के बारे में जानते हैं। अंतिम पाँच अध्याय इस ज्ञान से कैसे जीवन यापन करें, इसकी सलाह और प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। इस पुस्तक के माध्यम से, पौलुस हमें यह पूछता है कि क्या हम सही सुसमाचार का पालन कर रहे हैं? और क्या हमारा दैनिक जीवन यीशु में हमारे विश्वास को दर्शाता है? अहम प्रश्न हैं और हर एक को अपना जवाब देना होगा । इस पुस्तक को पढ़िए और बाइबल की स्वर्णिम पत्री का सम्पूर्ण लाभ लीजिए।
लेखक के विषय में
डॉ पॉल थॉमस मैथ्युस राजस्थान पेंटिकॉस्टल चर्च के पासबान और फिलादेलफिया फेलोशिप चर्च ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। 2014 में अपनी PhD की उपाधि लेने के बाद 2017 में आपने इंग्लैंड के बर्मिंघम विश्वविद्यालय से इवेंजेलिकल एंड केरिस्मेटिक स्टडीज़ में एक और उपाधि अर्जित की। डॉ पॉल अपने परिवार के साथ उदयपुर, राजस्थान में रहते हैं।
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